इस वक्त मेरे शरीर के अंगों का निर्माण हो चूका था अब बारी थी अंगों को मजबूत बनाने की तो मम्मी ने क्या किया, मम्मी ने प्रोटीन वाले खाने पर ज्यादा ध्यान दिया।
जैसे उन्होंने दूध और उससे से बनी हुई खाद्य सामग्री पर ज्यादा ध्यान दिया। साथ में फल और प्रसवकर घृत लेती थीं। बाकि सब खाना पीना सामान्य था।
एक राज की बात, खाती तो मम्मी थी पर मुझे बहुत मजा आता था। और उस समय तो और भी जब मम्मी गूपचूप खाती थी। कितना स्वादिष्ट था।
जैसे उन्होंने दूध और उससे से बनी हुई खाद्य सामग्री पर ज्यादा ध्यान दिया। साथ में फल और प्रसवकर घृत लेती थीं। बाकि सब खाना पीना सामान्य था।
एक राज की बात, खाती तो मम्मी थी पर मुझे बहुत मजा आता था। और उस समय तो और भी जब मम्मी गूपचूप खाती थी। कितना स्वादिष्ट था।
वाह!! शानदार प्रस्तुति..एक बेहतरीन रचना!
ReplyDeleteare vaah.......kyaa baat hai......
ReplyDeleteSwagat hai...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुती।
ReplyDeletewelcome to my blog
http://photographyimage.blogspot.com/
bahut sunder rachna! khubsurat .....
ReplyDeleteWonderful! ur welcome
ReplyDeleteकली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
ReplyDeleteधरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
कलम के पुजारी अगर सो गये तो
ये धन के पुजारी वतन बेंच देगें।
हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . नीचे लिंक दिए गये हैं . http://www.janokti.com/ , साथ हीं जनोक्ति द्वारा संचालित एग्रीगेटर " ब्लॉग समाचार " http://janokti.feedcluster.com/ से भी अपने ब्लॉग को अवश्य जोड़ें .
इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteपहली बार आपके ब्लोग पर आया हूँ , अच्छा लगा आपसे मिलकर , मुझसे दोस्ती करोगे
ReplyDeletehttp://www.madhavrai.blogspot.com/
Interesting....!!
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